करहाट

कन्द

करहाटं भवेत्कन्दः पादो मूलं जटा शिफा ॥ १८३ ॥
verse 2.1.1.183
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मृणाल

बिस, कन्द

मृणालं स्याद्विसं कन्दो विसिनी नलिनी भवेत् ॥ ६८२ ॥
verse 3.1.1.682
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