कर्तरी

पुङ्ख

पत्त्रपाली भवेद्वाजः कर्तरी पुङ्ख उच्यते ।
verse 2.1.1.468
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कृपाणी

ईली, कर्तरी

सूना स्याद् घातनस्थानं कृपाणीली च कर्तरी ॥ ५९५ ॥
verse 2.1.1.595
page 0067