कलाप

सप्तकी, काञ्ची, मेखला, रसना, कटिसूत्र, सारसन

कलापः सप्तकी काञ्ची मेखला रसना तथा ।
कटिसूत्रं सारसनं किङ्किणी क्षुद्रघण्टिका ॥ ५६० ॥
verse 2.1.1.560
page 0063

कक्षा

गुह्यपिधान, काञ्ची, गेह, प्रकोष्ठ

कक्षा गुह्यपिधाने काञ्च्यां गेहे प्रकाष्ठे च ॥ ८४२ ॥
verse 5.1.1.842
page 0096