पाद

मूल, जटा, शिफा

करहाटं भवेत्कन्दः पादो मूलं जटा शिफा ॥ १८३ ॥
verse 2.1.1.183
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जटा

सटा

पलितं पाण्डुराः केशा व्रतिनां तु जटा सटा ॥ ५३२ ॥
verse 2.1.1.532
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