साक्षात्

प्रत्यक्ष, सदृश्

प्रत्यक्षसदृशोः साक्षाद्वार्त्तासम्भाषयोः किल ॥ ८७४ ॥
verse 5.1.1.874
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दुःखभावन, क्रोध, प्रत्यक्ष, सन्निधि

ई दुःखभावने क्रोधे प्रत्यक्षे सन्निधावपि ॥ ८७५ ॥
verse 5.1.1.875
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