आयल्लक

उत्कण्ठा, उत्कलिका, रति, रणरणक, औत्सुक्य, हृल्लेख, विरह, वियोग

आयल्लकमुत्कण्ठा स्यादुत्कलिका रतिश्च रणरणकम् ।
औत्सुक्यं हृल्लेखो विरहवियोगौ च तुल्यार्थौ ॥ ७४२ ॥
verse 4.1.1.742
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