विस्तार
विटप
विस्तारो विटपः प्रोक्त आरोहस्तु समुच्छ्रयः ॥ १८१ ॥
verse 2.1.1.181
page 0023
व्यास
प्रपञ्च, विस्तार
व्यासः प्रपञ्चो विस्तारः स च शब्दस्य विस्तरः ॥ ७६६ ॥
verse 4.1.1.766
page 0088
वितान
विस्तार, कदक, शून्य, क्रतु, क्षण
विस्तारे कदके शून्ये वितानं स्यात्क्रतौ क्षणे ॥ ८४८ ॥
verse 5.1.1.848
page 0097
ऊरी
विस्तार, अङ्गीकृति
विस्तारेऽङ्गीकृतावूरी कथ्यत उररी तथा ।
verse 5.1.1.885
page 0101
उररी
विस्तार, अङ्गीकृति
विस्तारेऽङ्गीकृतावूरी कथ्यत उररी तथा ।
verse 5.1.1.885
page 0101